Wednesday, December 4, 2013

हाथो की लकीर (Hatho ki lakeer)

हाथो की लकीरो पे ना जा ए गालिब!
नसीब उन्कॆ भी हॊते है जिनकॆ हाथ नही होते!!

Haaton ki lakeero pe na ja ae Galib!
Naseeb unke bhi hote hai, Jinke hath nahi hote..!

पंथ होने दो अपरिचित Mahadevi Verma



पंथ होने दो अपरिचित ( Panth hone do Aparichit )

पंथ होने दो अपरिचित
प्राण रहने दो अकेला!

और होंगे चरण हारे,                
अन्य हैं जो लौटते दे शूल को संकल्प सारे;
दुखव्रती निर्माण-उन्मद
यह अमरता नापते पद;
बाँध देंगे अंक-संसृति से तिमिर में स्वर्ण बेला!

दूसरी होगी कहानी                
शून्य में जिसके मिटे स्वर, धूलि में खोई निशानी;
आज जिसपर प्यार विस्मित,
मैं लगाती चल रही नित,
मोतियों की हाट औ, चिनगारियों का एक मेला!

हास का मधु-दूत भेजो,                
रोष की भ्रूभंगिमा पतझार को चाहे सहेजो;
ले मिलेगा उर अचंचल
वेदना-जल स्वप्न-शतदल,
जान लो, वह मिलन-एकाकी विरह में है दुकेला!

- महादेवी वर्मा