Saturday, June 24, 2017

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो - Ram Prasad Bismil


ऐ मातृभूमि तेरी जय हो

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो ।
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो ।।
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में,
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो ।
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो ।।
तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो ।।
वह भक्ति दे कि ‘बिस्मिल’ सुख में तुझे न भूले,
वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो ।।

– राम प्रसाद बिस्मिल

सरफ़रोशी की तमन्ना - Ram Prasad Bismil

राम प्रसाद बिस्मिल

सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है
हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नहीं  तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है
हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ़ चले हैं ये कदम
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है
यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना -ए-शहादत भी किसी के दिल में है
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना  अब हमारे दिल में है|
                – राम प्रसाद बिस्मिल