Thursday, April 19, 2012

Lost faith



In today's time it is very hard to find someone whom you can trust blindly.


संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता, 
मंदिर जा कर भगवान नहीं मिलता, 

पत्थर तो इसलिए पूजते हैं लोग, 
क्योंकि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता!


In above Para writer wants to say that you can't become genius just by listening to music, and by visiting temple you cant have a meeting with God. People worship the Idol because we cant find someone to believe.


I have found this very fascinating shayari on facebook. 

Sunday, April 15, 2012

था तुम्हें मैंने रुलाया! - Harivansh Rai Bachchan

हा, तुम्हारी मृदुल इच्छा!
हाय, मेरी कटु अनिच्छा!
था बहुत माँगा ना तुमने किन्तु वह भी दे ना पाया!
था तुम्हें मैंने रुलाया!


स्नेह का वह कण तरल था,
मधु न था, न सुधा-गरल था,
एक क्षण को भी, सरलते, क्यों समझ तुमको न पाया!
था तुम्हें मैंने रुलाया!

बूँद कल की आज सागर,
सोचता हूँ बैठ तट पर -
क्यों अभी तक डूब इसमें कर न अपना अंत पाया!
था तुम्हें मैंने रुलाया!

-
Posted from some online source