हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं
अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं
सूरज के उस जानिब बसने वाले लोग
अक्सर हम को पास बुलाया करते हैं
यूँही ख़ुद से रूठा करते हैं पहले
देर तलक फिर ख़ुद को मनाया करते हैं
चुप रहते हैं उस के सामने जा कर हम
यूँ उस को चख याद दिलाया करते हैं
नींदों के वीरान जज़ीरे पर हर शब
ख़्वाबों का इक शहर बसाया करते हैं
इन ख़्वाबों की क़ीमत हम से पूछ कि हम
इन के सहारे उम्र बिताया करते हैं
अब तो कोई भी दूर नहीं तो फिर 'तैमूर'
हम ख़त किस के नाम लिखाया करते हैं
Hum Duniya se jab tang aaya karte hain - Taimur Hassan
अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं
सूरज के उस जानिब बसने वाले लोग
अक्सर हम को पास बुलाया करते हैं
यूँही ख़ुद से रूठा करते हैं पहले
देर तलक फिर ख़ुद को मनाया करते हैं
चुप रहते हैं उस के सामने जा कर हम
यूँ उस को चख याद दिलाया करते हैं
नींदों के वीरान जज़ीरे पर हर शब
ख़्वाबों का इक शहर बसाया करते हैं
इन ख़्वाबों की क़ीमत हम से पूछ कि हम
इन के सहारे उम्र बिताया करते हैं
अब तो कोई भी दूर नहीं तो फिर 'तैमूर'
हम ख़त किस के नाम लिखाया करते हैं
Hum Duniya se jab tang aaya karte hain - Taimur Hassan
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