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Tuesday, July 28, 2020

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म - 'कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया'


कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे

जो इश्क़ को काम समझते थे

या काम से आशिक़ी करते थे

हम जीते-जी मसरूफ़ रहे

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

काम इश्क़ के आड़े आता रहा

और इश्क़ से काम उलझता रहा

फिर आख़िर तंग आ कर हम ने

दोनों को अधूरा छोड़ दिया


Woh log bahut khush kishmat the,
Jo Ishq ko kaam samajhte the -- Faiz Ahmed faiz